मानव पूँजी से हो सकता है एक बेहतर भविष्य का निर्माण

पूंजी को विभिन्न प्रकार से सोचा जा सकता है, जैसे – भौतिक पूँजी, वित्तीय पूँजी, सामाजिक पूँजी, प्राकृतिक पूँजी, मानव पूंजी इत्यादि| भौतिक

Read more

ईरानियों के ग्रंथ ‘जेंदावेस्ता’ में असुर, देवता और देवता राक्षस क्यों हैं?

भारत में असुर आदिवासी समुदाय के लोग हैं और वे खुद को महिषासुर के वंशज मानते हैं। उनका मानना है कि

Read more

“तुम आदिवासी हो मगर लगती तो नहीं हो”: शिक्षण संस्थानों में आदिवासी स्त्री संघर्ष

यह तीन भाग श्रृंखला का पहला लेख है। लेखिका नीतिशा आगामी दूसरे भाग में अपने जेएनयू के अनुभवों के बारे

Read more

वर्ल्ड इंडिजेनस डे : आखिर क्यों मना रहे हैं हम देशज भाषाओं का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष?

भाषाएँ हमारे रोज़मर्रा के जीवन में बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं। हमारी भाषा हमारी सांस्कृतिक विविधता और पारस्परिक संवाद

Read more

बस्तर के युवाओं की भागीदारी से सशक्त होता आदिवासी संघर्ष

एक तरफ पूरी दुनिया में पूंजीवादी व्यवस्थाओं ने अपनी सत्ता जमा के सभी संसाधनों पर कब्जा कर लिया है, वहीं

Read more

जीतराई हाँसदा की गिरफ़्तारी: आखिर क्या है आदिवासियों में गौ-माँस भक्षण की परंपरा?

कोल्हान विश्वविद्यालय के कोपरेटिव कॉलेज जमशेदपुर में कार्यरत जीतराई हाँसदा को साकची, जमशेदपुर पुलिस ने शनिवार (25 मई) को गिरफ्तार

Read more

गाय-राजनीति और आदिवासी समुदाय : हर आदमी अपने ही पड़ोसी से डरा हुआ क्यों है?

मृतक प्रकाश लकड़ा की तस्वीर के पास बैठे उनके भाई पीटर लकड़ा, ग्रामीण बीरबल तिग्गा और जिनका बूढ़ा बैल मर

Read more

लोकसभा चुनाव में डुवार्स तराई के आदिवासी, बागान श्रमिकों, के लिए क्या मुद्देै हैं दांव पर?

मुर्गा लड़ाई में मुर्गों की जिंदगी दाँव पर लगी होती है लेकिन मुर्गों के कल्याण हित की कोई बात नहीं

Read more