कोरोना वायरस महामारी असन्तुलित पूंजीवाद की देन है ना कि चमगादड़: दयामनी बरला

COVID -19 या कोरोनावायरस महामारी ने विश्व भर में संकट की स्थिति पैदा कर दी है, जिसमें अब तक तीन लाख

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“बाज़ार न बंद है, जंगल तो नहीं”: कोरोना-लॉक डाउन में आदिवासी समाज

“बाजार तो बंद आहे लेकिन जंगल बंद तो नखे नि” (बाजार बंद होने से क्या हुआ, जंगल तो खुला है).

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झारखंड का 19 वां वर्षगांठ आदिवासियों के लिए क्या मायने रखता है?

अपनी अलग सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक विविधता से परिपूर्ण और विख्यात झारखंड आज अपनी 19वीं वर्षगांठ मनाने में मग्न है.

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छत्तीसगढ़ के मीडिया संस्थानों की पत्रकारिता आदिवासी विहीन: ब्राम्हणवाद के कब्ज़े में!

इस साल के अगस्त में गैर-सरकारी संगठन ऑक्सफैम और न्यूज़लांड्री मीडिया संस्थान ने “हु टेल्स आवर स्टोरीज मैटर्स” नामक एक

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