मध्य प्रदेश में कोईतुर धार्मिक स्थल पर विवेकानंद का स्मृति भवन क्यों?

कोईतुर या गोंड समाज भारत के प्राचीनतम समुदायों में से एक है और इसकी अपनी स्वतंत्र संस्कृति और धर्म है. इसका

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गोटूल: माडिया-कोईतुर समाज और जीवन दर्शन को समझने का एक बहुआयामी केंद्र

फ़ोटो : बस्तर में स्थित एक गोटूल (वेर्रिएर एल्विन, 1940) गडचिरोली और माडिया (कोईतुर) आदिवासी पहचान बताते हुए शहरी लोगों

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सुन्हेरसिंह ताराम ने तीन दशक पुरानी पत्रिका “गोंडवाना दर्शन” से बदला कोइतुर-आदिवासी विमर्श

सन 1916, कोईतूर सामाजिक आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दौर की शुरुवात थी, जिसमें कोईतूर समाज के बुद्धिजीवियों द्वारा

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बच्छराज कुंवर: छत्तीसगढ़ में आदिवासी देवता के ब्राह्मणीकरण का समाज कर रहा विरोध

छत्‍तीसगढ़ के घने जंगल प्राचीन दुनिया से जुड़े कई गहरे इतिहास संजोये हुए हैं। ऐसा ही एक इतिहास है उत्तर

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क्या है, गोंडवाना साम्राज्य के देवगढ़ किले का गौरवशाली इतिहास?

मध्य भारत में गोंडवाना साम्राज्य के वैभव और समृद्धि से जुड़े इतिहास आज भी अपनी गौरवशाली विरासत को बयान कर

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