कुविताएँ और आदिवासी
आदिवासी पहाड़ो पर रहते हैं छोटा नागपुर से एंडीज तक मकलू मुर्मू से रिगोबरता मंचू तक उनके नीचे मैदानों में
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Read moreअब जंगल -पर्वतों में पलाश फूल खिला है लाल अति सुन्दर जैसे कोई हुल का आग जलाया है देश के
Read moreहाँ, महाशय आप बिलकुल ठीक कह रहे है इस गरीब बस्ती में प्रदूषण तो नहीं है धुँआ का तो नाम
Read moreजंगलों और पहाड़ों के आदिवासी पहले से ही पुलिस छावनी और खनन कंपनियों के ख़िलाफ़ संघर्षरत हैं। वे पहाड़ों पर
Read morePicture by Ashish Birulee (Galli.in) सागर के अस्थिर पानी जैसा उबल रहा है मेरा मन आज बोलने के लिए मजबूर
Read moreहुल के फूल घिरे चारदीवारी के अंदर खिलते नहीं है वह तो तुम्हारे और मेरे ह्रदय में भी खिल सकते
Read moreगोंडवाना दर्शन मासिक पत्रिका के संस्थापक संपादक रहे सुन्हेरसिंह ताराम का निधन बीते 7 नवंबर 2018 को हो गया। गोंडी
Read moreफोटो : Manish Shandilya/BBC शायद भारतीय इतिहासकारों ने 01 जनवरी 1948 को हुई खरसावां गोलीकांड का ज़िक्र तक नहीं किया
Read morePhoto: मोरपल्ली गांव (दंतेवाड़ा) की मडकम नंदे अपने बच्चों के साथ। मडकम के गांव को 2011 में सुरक्षा बलों ने
Read moreचीखती घटनाएं तो इतिहास में बड़ी सहजता से जगह पा लेती हैं, मगर ख़ामोश घटनाएं उतनी ही आसानी से नजरअंदाज़
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