करें तो करें क्या!
- करें तो करें क्या! - January 10, 2020
- सीएनटी/एसपीटी एक्ट में किए गए संशोधन और उनके सामाजिक और पर्यावरणीय परिणाम - January 10, 2017
- Amendments in CNT/SPTA and their Socio-Ecological Impact - December 16, 2016
हमारे सपने छीने जाते हैं
जब आप देश के बजट से छीन लेते हो
हमारे स्कूल के घर,
बीमारियों की दवा,
गावों से गुजरने वाले रस्ते,
गरीब बच्चों के सपने
और देते हो अडानियों, अम्बानियों को
वो सजी सजाई बेबुनियाद माफ़ी
जिससे वे फिर लूट सकें
एक आदिवासी की एकलौती ज़मीन
ताकि मुफ्त में दे सकें वो
निरंतर सबको 4G
पर खाएंगे क्या हम
पानी, ज़मीन, हवा?
वो भी खाने लायक रहा नहीं!
बीज, खाद, दवा?
अब मुफ्त का रहा नहीं!
जंगलों के फूल अब खिलते नहीं
सरसों के साग अब महकते नहीं
उस खुदी हुई कोयले ज़मीन पर
अब घास उगते नहीं
अपना पेट काटकर
जिस बेटी को हमने BA कराया
उसकी छोटी मोटी नौकरी
घूस देखर भी लगती नहीं
पर तुम्हारे सारे गुनाह माफ़ हैं
हम देश के खातिर कुर्बान हैं
हमारी बहनें तुम्हारे बर्तन साफ करेंगे
और ईंटे भट्टे की आग में तप कर
हमारे भाई मर जायेंगे
पैसे वाले लड़के रात को पीकर
सुबह तक KTM बाइक में
इस धरा से निकल जायेंगे
इक्के दुक्के हमारे नेता
तुम्हारे नोटों में फिसल जायेंगे
गांव के छोटे किसान
कर्ज की पर्ची लेकर
पेड़ से लटक जायेंगे
फिर अर्थियों की बारात निकलेगी
और लोग स्टेटस पर शोक मनाएंगे
पर मेरा क्या जाता?
मैं तो मिडिल क्लास आदिवासी हूँ
एक नौकरी लग जाएगी
एक सुन्दर लड़की से शादी हो जाएगी
बच्चों को इंग्लिश मीडियम भेजकर
एक उज्जवल भविष्य की कामना करूँगा
KFC के चिकन खाऊंगा
गर्मी में शिमला जाऊंगा
एक SUV से झारखण्ड के
हर फाल्स का चक्कर काटूंगा
पर हाँ, अपने लोगों को मरता देख
उस ग्लानि का क्या करूँगा
जिस प्रक्रिया में मेरे हाथ हैं
और जिनसे मैंने हाथ धो दिया
तब मैं नौकरी से रिटायर होकर
चुनाव टिकट के पीछे भागूंगा
उनके लिए आर्टिकल लिखूंगा
इंस्टा, ट्विटर और फेसबुक को
आदिवासियों से भर दूंगा
और शाम में रम लेकर
अनंत शांति में सो जाऊंगा!
फ़ोटो – नीलम केरकेट्टा