युरेनियम की विकिरण
- वक्त तो है! - May 1, 2019
- पेड़ -लताओं के हुल - March 15, 2019
- पेट की आग से धुँआ निकलता नहीं - March 14, 2019
Picture by Ashish Birulee (Galli.in)
सागर के अस्थिर पानी जैसा
उबल रहा है मेरा मन
आज बोलने के लिए
मजबूर हो रहा हूँ
धन-दौलत से भरे
इस युग में
मनुष्य ही क्यों मनुष्य का
दुश्मन बना है?
क्यों देख और मुलाकात के
साथ ही
काटना और मारना चाहता है?
किसका होगा यह धन-दौलत
जब मनुष्य ही खत्म हो जाएगा
यह धरती निर्जन हो जाएगा
जब प्रकृति ही डरने लगे
क्या वह भूल गये हैं
हिरोशिमा और नागासाकी में
बम की विस्फोट
भोपाल की वह गैस रिसाव
जहाँ हजारों लोग मरे थे
और लाखों लोग दिव्यांग हुए थे.
जहाँ मेरा जन्म हुआ
और प्यार के साथ बड़ा हुआ
युवावस्था में जिसे प्यार किया
मेरे बच्चे जिनके गालों में
चुमने से नहीं थकते
और मेरे सर पर प्यार की
वर्षा करने वाले
देवता समान माता-पिता
आज विकिरण के भयंकर
कुप्रभाव से
उस काले नाग के डँसने से
सबको खो दिया
और मैं युरेनियम के
विकिरण का गुण
दुनिया को बताने के लिए
देह पर सड़ा घाव लेकर
आज भी जिन्दा हूँ.