मडावी तुकाराम : तेलंगाना के पहले आदिवासी I.A.S.
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यह लेख पहले 29 नवंबर 2018 को मना तेलंगाना अख़बार में प्रकाशित किया गया था।
इसका अनुवाद अंग्रेजी से हिंदी में आकृति उइके द्वारा किया गया है।
अदिलाबाद, विभिन्न आदिवासी जन-जातीय समुदायों व बेशकीमती प्राकृतिक, खनिज संसाधनों से युक्त धनी इलाका हैं। इस जगह पर महान स्वतंत्रता सेनानी जैसे कुमराम भीम और रामजी गोंड जन्में थे। हालाँकि, एक और बहुत कम ज्ञात मगर महान व्यक्ति, मड़ावी तुकाराम, भी इसी भूमि से संबंध रखते हैं। मड़ावी तुकाराम एक पिछड़ी गोंड आदिवासी जन जातीय समूह में से हैं, जो आगे चलकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने !
मड़ावी तुकाराम का जन्म 14 मई 1951 को लक्ष्टिपेट गाँव, उट्नूर मंडल, जिला अदिलाबाद में हुआ था। इनके पिता जी का नाम मड़ावी बापूराव व माता जी का नाम मनकू बाई हैं। परिवार में तुकाराम सबसे छोटे भाई थे, व उनकी 2 बड़ी बहने भी थी। तुकाराम के माता-पिता दिहाड़ी मजदूर थे। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गाँव के स्कूल में की थी, इसके बाद 6वी से 10वी तक और उच्च शिक्षा आदिवासी कल्याण स्कूल अदिलाबाद से की। काफी मेहनत के बाद वो एम. ऐ. की पढ़ाई के लिए ओस्मानिया यूनिवर्सिटी गए। अपने जीवन यापन के लिए उन्होंने फॉरेस्ट विभाग, कागजनगर टाउन मे दिहाड़ी मजदूर का काम किया। अपनी मातृ-भाषा गोंडी/कोया के अलावा मड़ावी तुकाराम को अंग्रेज़ी, हिंदी, तेलुगु, मराठी, संस्कृत में महारथ हासिल थी।
निज़ाम काल में जब विदेशी मानव-वैज्ञानिक, क्रिस्टोफर वॉन फुरेर हाइमेण्ड्रोफ़ अदिलाबाद आये, गोंडी से अंग्रेज़ी में अनुवाद के लिए उन्होंने तुकाराम की मदद ली थी, बाद में तुकाराम ने खुद क्रिस्टोफर वॉन फुरेर हाइमेण्ड्रोफ़ के अनेक लेखों का तेलुगु में अनुवाद किया। माता-पिता और साथ ही हाइमेण्ड्रोफ़ के प्रोत्साहन से तुकाराम को अपनी पहली सरकारी नौकरी राजस्व विभाग (revenue division) में अफ़सर के तौर पे मिली। इसके बाद तुकाराम ने पूरी सच्चाई, ईमानदारी व मेहनत से अनेक सरकारी पदों प काम किया और आखिरकार उनका चयन भारतीय प्रशासनिक सेवा आईएएस मे हो गया , इसके बाद उन्होने उन्हीने निज़ामबाद, करीमनगर, महबूबनगर, काकीनाडा में कलेक्टर का पद संभाला। उन्होने कमिशनर के पद पर रहते हुए कई विभागों में कार्य किया व सचिव के पद पर जन-जातीय मंत्रालय और गृह मंत्रालय में भी कार्य संचालन किया। इसके अलावा उन्होने परियोजना अधिकारी के तौर पर एकीकृत आदिवासी विकास एजेंसी, उट्नूर में भी काम किया।
तुकाराम को “राय सेन्टर” की स्थापना में विशेष योगदान के लिए भी जाना जाता है। जो कि एक पारंपरिक गोंड न्यायिक आदालत है। राय का मतलब कानूनी निर्णय और न्याय होता है। राय सेन्टर आदिवासियों के इतिहास, संस्कृति और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया था। राय सेन्टर में नागरिक झगड़े अपने छेत्राधिकार के अंतर्गत हल किये जाते थे। आज की तारीख में 200 से ज्यादा राय सेन्टर कॉमेटिस अविभाजित अदिलाबाग जिला में काम कर रहे है।
एक समुदाय के लिए, जो कि कभी स्वतंत्र हो कर अपने छेत्र में रहते थे और जो अब अधिकार हीन हो गए है। मड़ावी तुकाराम का नायक की तरह आदर किया जाता है। कैंसर की वजह से उनका निधन 29 नवंबर 1997 में हुआ। इनकी याद में, पिछले साल 2017 में आदिवासियों ने अदिलाबाग में मांग की है कि माड़वी तुकाराम की जीवनी को स्कूल की इतिहास की किताबों मे जगह दी जाए और राज्य प्रशासन उनके नाम पर एक ट्रस्ट की स्थापना करे , छेत्र के आदिवासी यह चाहते है कि कुमराम भीम के साथ तुकाराम की फोटो स्कूल व होस्टल में भी लगाई जाए। यह बहुत दुर्भाग्य की बात है कि आज तुकाराम के माता-पिता बहुत गरीबी में जी रहे है।
जबकि तेलंगाना मे आदिवासी एक अधिकार हीन समूह की तरह रह रहे हैं व हाशिये का जीवन यापन कर रहे हैं जिनमे कुछ गिने चुने ही भारतीय प्रशासनिक सेवा मे शामिल हो पाएँ हैं माड़वी तुकाराम आदिवासी विद्यार्थियो और युवाओं को जीवन की तमाम अडचनों को पार कर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सदैव मार्गदर्शन करेंगे .
Its great honour to learn about hon… Tukaram saab
He was so honest about his work said by my dad..
My dad is 1 yr junior from Mr. Tukaram saab in luxiepet school…
Thank for info…
My warm wishes
Regard… Dr. Vinod m Madavi