कुविताएँ और आदिवासी
आदिवासी पहाड़ो पर रहते हैं छोटा नागपुर से एंडीज तक मकलू मुर्मू से रिगोबरता मंचू तक उनके नीचे मैदानों में
Read moreआदिवासी पहाड़ो पर रहते हैं छोटा नागपुर से एंडीज तक मकलू मुर्मू से रिगोबरता मंचू तक उनके नीचे मैदानों में
Read moreअब जंगल -पर्वतों में पलाश फूल खिला है लाल अति सुन्दर जैसे कोई हुल का आग जलाया है देश के
Read moreहाँ, महाशय आप बिलकुल ठीक कह रहे है इस गरीब बस्ती में प्रदूषण तो नहीं है धुँआ का तो नाम
Read moreDear Republic, When your best citizens are killed on the streets, and piled in the jails. While the traitors adorn
Read morePicture by Ashish Birulee (Galli.in) सागर के अस्थिर पानी जैसा उबल रहा है मेरा मन आज बोलने के लिए मजबूर
Read moreहुल के फूल घिरे चारदीवारी के अंदर खिलते नहीं है वह तो तुम्हारे और मेरे ह्रदय में भी खिल सकते
Read morePhoto: मोरपल्ली गांव (दंतेवाड़ा) की मडकम नंदे अपने बच्चों के साथ। मडकम के गांव को 2011 में सुरक्षा बलों ने
Read moreFeatured Image: Subrata Biswas/LiveMint मेरे स्वप्न पर IPC 144 मेरी फूटी छज्जा पुआल की झोपडी में खजूर पाटिया फटा गद्दा पर
Read moreFeatured Image courtesy : Souparno Chatterjee, PRADAN मेरे याया बुबा ने कहा कि यह जंगल हमारा है, उनके याया बुबा ने
Read moreअसमानता, शोषण की राह लिखुं या दमनकारियों की वाह लिखुं, कल्लुरी की जीत लिखुं या खामोश आदिवासीयों को मृत लिखुं।
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