गोटूल: माडिया-कोईतुर समाज और जीवन दर्शन को समझने का एक बहुआयामी केंद्र

फ़ोटो : बस्तर में स्थित एक गोटूल (वेर्रिएर एल्विन, 1940) गडचिरोली और माडिया (कोईतुर) आदिवासी पहचान बताते हुए शहरी लोगों

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ईरानियों के ग्रंथ ‘जेंदावेस्ता’ में असुर, देवता और देवता राक्षस क्यों हैं?

भारत में असुर आदिवासी समुदाय के लोग हैं और वे खुद को महिषासुर के वंशज मानते हैं। उनका मानना है कि

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“धुमकुड़िया—एक आदिवासी संवाद श्रृंखला” अपने दूसरे सम्मेलन के लिए शोध पत्र आमंत्रित करती है

– धुमकुडिया टीम धुमकुड़िया, उराँव जनजाति के बीच एक पारम्परिक शैक्षणिक संस्थान है। आदिवासी के उद्भव से लेकर आज तक आदिवासी

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बच्छराज कुंवर: छत्तीसगढ़ में आदिवासी देवता के ब्राह्मणीकरण का समाज कर रहा विरोध

छत्‍तीसगढ़ के घने जंगल प्राचीन दुनिया से जुड़े कई गहरे इतिहास संजोये हुए हैं। ऐसा ही एक इतिहास है उत्तर

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“आदिवासी जीवन दर्शन हमारे अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण”—यूट्यूबर और संगीतकार नीरज कुमार भगत (NKB) से बातचीत 

उरांव समाज से, घाघरा, गुमला के निवासी—नीरज कुमार भगत, नागपुरी/सादरी के प्रसिद्ध यूट्यूबरर्स में से एक हैं, जो प्रसिद्ध यूट्यूब

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