“धुमकुड़िया—एक आदिवासी संवाद श्रृंखला” अपने चौथे सम्मेलन के लिए शोध पत्र आमंत्रित करती है
– धुमकुडिया टीम
धुमकुड़िया, उराँव जनजाति के बीच एक पारम्परिक शैक्षणिक संस्थान है। आदिवासी के उद्भव से लेकर आज तक आदिवासी समाज में किसी-न-किसी प्रकार का शैक्षणिक संस्थान रहा है जिसमें ‘धुमकुड़िया’ का महत्वपूर्ण स्थान है| यह संस्थान सांस्कृतिक, पारम्परिक, ज्ञान का सृजन केंद्र, दर्शन, सामाजिक जुड़ाव, पारम्परिक प्रशासनिक व्यवस्था, और इन सबसे ऊपर जीवित रहने का सबब, पूर्वजों से सीखने का केंद्र इत्यादि है। सामानांतर संस्थान गिती-ओड़ा(संताल आदिवासी), गोटुल (गोंड आदिवासी)और सेल्नेडिंगो (बोंडा आदिवासी) हैं, जहां शिक्षा का तरीका मौखिक है और यह आज भी प्रशस्त है। आज के परिदृश्य में ‘ धुमकुड़िया’, आदिवासियों को ऐतिहासिक रूप में नकारात्मक तरीके से प्रदर्शित करने को नकारता है, वैकल्पिक विकास की संकल्पना जो की आदिवासी दर्शन के अनुसार टिकाऊ है को स्वीकार करता है| अस्तित्व, आदिवासियों के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों में से एक है और ‘धुमकुड़िया’ टिकाऊ विकास के जनजातीय जीवन के विभिन्न घटकों के लिए मंच प्रदान करता है। जीवन के इन सवालों को ‘धुमकुड़िया’ महत्वपूर्ण स्थान देता है साथ ही भूत के शैक्षणिक विरासत को वर्तमान और भविष्य के शिक्षा से जोड़ने का संकल्प लेता है|
इन संस्थानों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए, “धुमकुड़िया” – आदिवासी-देशज ज्ञान प्रणालियों के पुनरुत्थान के लिए एक आदिवासी संवाद श्रृंखला सह सम्मेलन है।
“धुमकुड़िया – 2021”, आपलोगों से शोधपत्र/ कला और चित्र/नयी सोच निम्नलिखित विषयों पर आमंत्रित करता है:
(1) संस्कृति और परंपरा
- आधुनिक जीवन शैली और पारंपरिक जीवन शैली की संगतता।
- वर्तमान समय में रीति–रिवाजों और परंपराओं का अभ्यास।
- भाषा, साहित्य, कला, संगीत और रीति–रिवाज के लिए चुनौतियां।
- संस्कृति, परंपरा और सुधार।
(2) संवैधानिक अधिकार और स्वायत्तता
- संविधान और मानवाधिकार।
- जनजातियों के बीच लोकतंत्र और कानून।
- परंपरागत कानून और संविधान।
(3) वैश्वीकरण के समय में आदिवासी
- वैश्वीकरण की दुनिया में आदिवासी।
- आदिवासियों के बीच सामाजिक संस्थानों की आवश्यकता।
- आदिवासी समाज और सामाजिक बुराइयाँ जैसे — डाईन प्रथा, दहेज, अपराध और भ्रष्टाचार।
- वैश्वीकरण की दुनिया में आदिवासियों के बीच लोकतंत्र और एकता।
- सामूहिकता और समाजवाद की भावना।
(4) शिक्षा और स्वास्थ्य
- आदिवासियों के बीच शिक्षा और स्वास्थ्य।
- पारंपरिक शिक्षा संस्थान बनाम आधुनिक शैक्षणिक संस्थान।
- आदिवासियों की शिक्षा और सामाजिक–आर्थिक स्थिति।
- समाज में आदिवासी बौद्धिकता की भूमिका।
- शिक्षा और विकास।
(5) इतिहास निर्माताओं के रूप में आदिवासी
- आदिवासियों में मेगालिथिक परम्परा।
- इतिहास लेखन का महत्व।
- इतिहास बनाने का महत्व।
(6) लैंगिक समानता
- लैंगिक समानता और आदिवासी।
- आदिवासियों के बीच लैंगिक असमानता और अपराध।
(7) खाद्य और आजीविका
- पारंपरिक खाद्य बनाम फास्ट फूड।
- वन उत्पाद, बाजार और प्रबंधन।
(8) शिक्षा और आर्थिक विकास
- सतत विकास और आदिवासी।
- आदिवासियों के बीच पूंजी।
(9) साहित्य
- आदिवासी साहित्य और उनका इतिहास।
- साहित्य, संगीत और गीत।
(10) कृत्रिक ज्ञान के समय में आदिवासी
- आदिवासी और प्रौद्योगिकी।
- सतत प्रौद्योगिकी और आदिवासी।
(11) आदिवासी और पर्यावरण
- आदिवासियों के लिए आजीविका के रूप में प्रकृति।
- प्राकृतिक संसाधन और आदिवासी।
(12) आदिवासियों के बीच कृषि और उद्योग
- उद्योग के रूप में कृषि।
- पारंपरिक कृषि एवं आजीविका।
(13) जल और वन संसाधन
- वन संसाधन प्रबंधन|
- जल संकट एवं जल संसाधन|
- जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधन।
(14) आदिवासी चिकित्सा और उपचार तंत्र
- पारंपरिक आदिवासी चिकित्सा।
- पारंपरिक बनाम आधुनिक उपचार तंत्र।
- संगीत चिकित्सा
(15) लोकगीत और लोककथाओं
- पारम्परिक एवं आधुनिक कथा वाचन।
- कल्पित और अकल्पित कहानियां।
(16) अर्थव्यवस्था एवम व्यवसाय
- आदिवासियों के बीच व्यवसाय।
- अर्थव्यवस्था एवं सघन पलायन।
- विस्थापन एवं मानव तस्करी।
यदि आपकी दृष्टि, कल्पना और संभावित लेख उक्त विषयों के बाहर आता है लेकिन आदिवासियों और उनके दर्शन से सम्बंधित है तथा आपका पेपर अंतिम रूप से चयनित होता है तो ‘धुमकुड़िया – 2021′ में उसे आप प्रस्तुत कर सकते हैं। आप अपने लिखे गए शोध पत्र किसी भी आदिवासी भाषा लेकिन हिंदी या अंग्रेजी में भी अनुदित निम्नलिखित ई-मेल पर भेजें – dhumkudiyaa@gmail.com.
महत्वपूर्ण तिथियां:
अपने शोध पत्र का सार भेजने की अंतिम तिथि: 30/09/2021
शोध पत्र स्वीकारोक्ति की अंतिम तिथि: 05/10/2021
पूरा शोध पत्र भेजने की अंतिम तिथि : 26/11/2021
नोट: वैसे, “धुमकुड़िया (धुमकुड़िया-2021)” का कार्यक्रम हर साल 24-25 दिसंबर को होता है लेकिन कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए कार्यक्रम पूरा दिसंबर ऑनलाइन चल सकता है|
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Adivasi samaj se juda kafi achha ayojan hai