कुविताएँ और आदिवासी

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आदिवासी
पहाड़ो पर रहते हैं
छोटा नागपुर से एंडीज तक
मकलू मुर्मू से रिगोबरता मंचू तक
उनके नीचे मैदानों में
सभ्यता के मंचो पर
सभ्यता का सुख भोगता हुआ
गैसलाइट का माहिर
आदिवासी को आदि से हटा वन में रखता
आरएसएस की तर्ज पर वनवासी जंगल वासी
जंगली करार देता
इतिहास को बेदखल कर भूगोल रखता हुआ
गो कि इतिहास में स्थित हैं
आदिवासी के विरुद्ध उसके पूर्वजो के गुनाह!
आदिवासी को
असभ्यता के फायदे गिनाता
भाषा -विनोद -प्रिय -कुमार -शुक्ल -कवि
रहता है
पहाड़ो और नैतिकता
के बहुत बहुत
नीचे स्थित
कवि
आदिवासी के “ऊपर” कुविताएँ
लिख-ता है


फोटो : रिचर्ड टोप्पो

Faqir Jay

जयप्रकाश फ़ाकिर ने अपनी शिक्षा बी. टेक. (आई आई टी) से की है. यूजीसी नेट के साथ वे अनुवाद में गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं. आदिवासी मुद्दों पर कहानी, कविता, आलेख, गुजर बकरवालो /वनगुज्जर जीवन-संस्कृति पर शोध करते हैं. वह भारत सरकार में अधिकारी हैं और वर्तमान में दिल्ली में रहते हैं. Jaiprakash Fakir studied B. Tech. at IIT. Along with UGC NET, he is also a Gold Medalist in translation. He writes stories, poetry, articles on tribal/adivasi issues and his area of research are life and culture of Gujjar Bakerwal/VanGujjar community. He works with Government of India and currently lives in Delhi.

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