जंगल महल की लड़की
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जंगल महल की लड़की
घने जंगलों के बीच
घुटनों के ऊपर कपड़ा लपेटकर
सर पर सूखी लकड़ी लेकर
मुस्कराती हुई
आँखों से इशारा करती है
जंगल महल की लड़की।
देखा हूँ
उनकी अंगुली हथेली
पढ़ा हूँ
उनकी दरिया समान
आँखों को।
वे जानते नहीं
पढ़ना – लिखना
उनको है नहीं पोथियोँ का ज्ञान
काले अच्छर
उनके लिए
काले दानव के समान।
वे सुने नहीं हैं
प्रथम और द्वितीय
विश्वयुद्ध की
भयानक कहानी
किसी से भी
सुने नहीं वे
चन्द्रमा की धरती को
मनुष्यों की जाने की बातें।
सलवा जुडूम और माओवादी
शब्द के अर्थ
बहुत बार ही पहुंचा है
उनके पास।
प्रत्येक बार
बहुत लोगों के
जान जाने के बाद ही
जाना है
अपना अधिकार।
एक ही तरह के ड्रेसवाले लोग
गांव को आते है
अधिकार देने की या तो
छीनने की बात कर
छोटे-छोटे बच्चों के
गलों में
प्यार से हाथ फेर कर
ले जाते हैं अपने साथ।
इनकी देह – चमड़ी
और चेहरा हूबहू
मिलती है माओबादियों से
सलवा जुडूम लोगों के साथ
इसलिए प्रत्येक बार ही
सामने हो जाते है
बंदूकों के सामने
और मरते है अनगिनत
चाहे गोली सरकार की हो
या चाहे माओवादियों की हो।
फिर भी आगे बढ़ते ही रहते हैं
जंगल-पहाड़ के
घुमावदार पगडंडियों से
और मुस्कान के साथ
अधिकार के गीत गाते जाते हैं।
Image: Representational