दंतेवाड़ा: NMDC कीअसंवैधानिक लोक सुनवाई का ग्रामीणों ने किया विरोध

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दंतेवाड़ा-

NMDC खदान और प्रदूषित जल स्त्रोत. (फोटो- मंगल कुंजाम)

विगत 50 वर्षों से  एन.एम.डी.सी. परियोजना बैलाडीला के पहाड़ों पर कच्चे लौहे का खनन कर रहा है। इस बैलाडीला खदान से 52 गाँव प्रभावित हैं और पुरे  गाँव की वर्त्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि आज तक यहाँ खनन करने से  खदानों से बहे  लोहे के चूर्ण खेतो को बंजर कर चुके हैं। इसका मुआवजा  कुछ ग्रमीणों को ही मिलता है वो भी नहीं के बरबार , साथ ही मुआवजा देना इसका पूर्ण समाधान नहीं है।  प्रत्येक वर्ष  लोहे के चूर्ण की मिट्टी पानी के बहाव में खेतों के बीच बह जा रही है  और इसको रोकने के लिए आज तक परियोजना के द्वारा  कोई उपाय नही किया गया है। इस मिटटी के बहाव से कई हजारों एकड़ ग्रामीणों की जमीन बंजर हो गयी  है। अभी वर्तमान में NMDC निर्क्षेप क्रमांक 10 का 3.2 मिलियन टन से 4.2 मिलियन टन उत्पादन किया जा रहा है , जिसे बढाकर प्रतिवर्ष 6 मिलियन टन उत्पादन करने के लिए यहाँ 15 नवम्बर को जनसुनवाई की जा रही थी। ऐसे खदानों से अंचलवासियों की भूमि बहुत प्रभावित हो रही है और देवी, देवताओं को भी प्रभावित कर रही है।   पर्यावरण में धूल के महीन कण खेतों को भी प्रभावित करेंगे।

(फोटो- मंगल कुंजाम)

यह सब जबकि, बस्तर संभाग में संविधान की पांचवी अनुसूची लागू है व पेसा कानून भी प्रभावी है।  भारतीय सविंधान की पांचवी अनुसूची के तहत लोक सुनवाई के पूर्व प्रभावित ग्राम में सूचना दी जानी है, जो की यहाँ नहीं दी गयी। लिखित में किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गयी। साथ ही आदिकाल से चले आ रहे आदिवासी सामाजिक व्यवस्था  में ग्राम के गायता,  मांझी,  पेरमा,  कोटवार न ही ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव तक  को जानकारी दी गयी। गायता,  पेरमा, मांझी गांव के भूमि की माठी पूजा करने वाले और गाँव के देवी देवताओं में उठाने बैठने के उत्तरदायी हैं। गांव में नया खानी से लेकर हल जोताई तक का निर्णय मांझी पेरमा गायता के द्वारा सबसे पहले किया जाता है। भूमि के मुख्य मलिकाना अधिकार इनके होते हैं, और ये गाँव के देवी देवताओं, जल जंगल के भी पुजारी होते हैं।

जबकि खदान से प्रभवित ग्राम में ग्राम सभा की जानी चाहिए, वैसा नहीं किया गया। यहाँ संवैधानिक नियमों का उल्लंघन किया गया है। ग्रामीणों ने लोक सुनवाई का जिला प्रशासन के सामने वन कष्टगर में विरोध किया और अगले दिन कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी शिकायत उनके सामने रखी.

Mangal Kunjam

Mangal is a journalist from Koitur community and a native of Kirandul village, Dantewada. He writes on issues concerning Adivasis in Southern Chhattisgarh.

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